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अब ‘अटल’ नहीं मदर टेरेसा के नाम से जानी जाएगी यह स्कीम, झारखंड सरकार के इस कदम से राजनीतिक तूफान


Hemant Soren Government: झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार के एक फैसले से राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है। सोरेन सरकार ने भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई हेल्थकेयर स्कीम का अटल की जगह मदर टेरेसा के नाम पर रखने से घमासान मचा है। विपक्ष ने सोरेन सरकार पर धर्मांतरण एजेंडा को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया है।

हफ़्ते की शुरुआत में झारखंड मंत्रिमंडल ने अटल मोहल्ला क्लिनिक(Atal Mohalla Clinic) का नाम बदलने का फैसला किया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि स्वरूप रघुबर दास के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य शहरी मलिन बस्तियों में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मज़बूत करना और मुफ़्त प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। जिसमें परामर्श, दवाइयां और परीक्षण शामिल हैं।

इस सप्ताह की शुरुआत में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कैबिनेट बैठक में इसका नाम बदलकर ‘मदर टेरेसा एडवांस हेल्थ क्लीनिक्स’ करने का फैसला लिया गया। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने 20 अन्य प्रमुख प्रस्तावों को भी मंजूरी दी।

भाजपा ने इसे धर्मांतरण को बढ़ावा देने का प्रयास बताया। साथ ही दावा किया कि यह एक बड़ी साजिश का हिस्सा है। भाजपा लंबे समय से आरोप लगाती रही है कि राज्य के आदिवासियों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने का प्रयास किया जा रहा है।

वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने शनिवार को रांची में एक प्रेस वार्ता में कहा कि मदर टेरेसा ने झारखंड के लिए क्या योगदान दिया है? उन्होंने आगे कहा कि अलग झारखंड का खाका भाजपा के वनांचल विजन पर आधारित था, जो अटल जी की देन था। राज्य में धर्मांतरण एक गंभीर मुद्दा है, और हेमंत सोरेन इसी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए इस नाम परिवर्तन का इस्तेमाल कर रहे हैं।

इस हफ़्ते की शुरुआत में झारखंड मंत्रिमंडल ने अटल मोहल्ला क्लिनिक(Atal Mohalla Clinic) का नाम बदलने का फैसला किया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि स्वरूप रघुबर दास के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य शहरी मलिन बस्तियों में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मज़बूत करना और मुफ़्त प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। जिसमें परामर्श, दवाइयां और परीक्षण शामिल हैं।

इस सप्ताह की शुरुआत में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कैबिनेट बैठक में इसका नाम बदलकर ‘मदर टेरेसा एडवांस हेल्थ क्लीनिक्स’ करने का फैसला लिया गया। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने 20 अन्य प्रमुख प्रस्तावों को भी मंजूरी दी हैं 

गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने भी नाम परिवर्तन का मुद्दा उठाया और सोरेन सरकार पर वाजपेयी का नाम मिटाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। इसके बाद उन्होंने सरकार के कदमों को ओछी राजनीति बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री फिर से जेल जाने की तैयारी कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि अगर सरकार टेरेसा के नाम पर काम करना चाहती है, तो वह कोई नई पहल शुरू कर सकती है। अटल जी के नाम पर बनी योजना का नाम क्यों बदला जाए? उन्होंने आगे कहा कि नाम बदलकर सरकार ने शर्मनाक काम किया है। राज्य प्रशासन का मौजूदा आचरण बताता है कि झारखंड के मुख्यमंत्री, जो कांग्रेस के भी चहेते हैं, एक बार फिर जेल जाने के लिए तैयार दिख रहे हैं।सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा ने आरोपों को राजनीति से प्रेरित और निराधार बताते हुए खारिज कर दिया।

उन्होंने कहा कि मदर टेरेसा को भले ही भारत रत्न न मिला हो, लेकिन उन्हें अपना पूरा जीवन गरीबों, शोषितों, हाशिए पर पड़े लोगों और बीमारों की सेवा में समर्पित करने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। बीमारी का कोई धर्म नहीं होता और उन्होंने बिना किसी भेदभाव के हज़ारों लोगों को स्वास्थ्य सेवा प्रदान की। उनका काम सीधे तौर पर स्वास्थ्य से जुड़ा था, इसलिए उनका नाम ऐसी योजना के लिए बिल्कुल उपयुक्त था।

भाजपा पर कटाक्ष करते हुए झामुमो ने आरोप लगाया कि पार्टी के पास वास्तविक मुद्दे खत्म हो गए हैं। उसने दावा किया कि भाजपा ने ही देश भर में चीजों का नाम बदलने का चलन शुरू किया। उन्होंने कहा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वालों को चुनावों में लोगों ने पहले ही नकार दिया है। भाजपा धर्म और राष्ट्रीयता के नाम पर वोटों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रही है, लोगों पर बांग्लादेशी होने का आरोप लगा रही है, जबकि झारखंड की सीमा बांग्लादेश से लगती भी नहीं है

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