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New Delhi: भूषण स्टील एंड पावर लिमिटेड को 'सुप्रीम' राहत, कोर्ट ने अपने पुराने फैसले को पलटा

 

न्यूज डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने भूषण स्टील एंड पावर लिमिटेड के परिसमापन को लेकर दिए गए अपने 2 मई के फैसले को वापस ले लिया। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि भूषण स्टील पर दिए गए विवादित फैसले में कानूनी पहलुओं पर सही ढंग से विचार नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने 2 मई के उस फैसले को वापस ले लिया जिसमें भूषण स्टील एंड पावर लिमिटेड (बीएसपीएल) के परिसमापन (लिक्विडेशन) का आदेश दिया गया था। शीर्ष अदालत ने इससे पहले जेएसडब्ल्यू स्टील लिमिटेड द्वारा बीएसपीएल के लिए प्रस्तुत समाधान योजना (रेजोल्यूशन प्लान) को अवैध करार देते हुए खारिज कर दिया था और कहा था कि यह इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड का उल्लंघन है।प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने इस फैसले की समीक्षा के लिए दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि पहले दिए गए ‘विवादित निर्णय’ में कानूनी स्थिति का सही ढंग से मूल्यांकन नहीं किया गया था।

पीठ ने कहा, ‘हमारा मानना है कि चुनौती दिए गए निर्णय में उन न्यायिक निर्णयों के आलोक में कानूनी स्थिति को सही ढंग से नहीं समझा गया, जिनका पहले से उल्लेख है। इसके अलावा यह तर्क भी दिया गया कि कई तथ्यों पर आधारित पहलुओं को ध्यान में रखा गया, जबकि वे दलीलें रखी ही नहीं गई थीं। हालांकि, इस स्थिति को लेकर मतभेद है। इसके साथ ही पीठ ने कहा, यह मामला पिछले निर्णय को वापस लिए जाने के एकदम माकूल है और मामले की फिर से सुनवाई की जानी चाहिए। शीर्ष अदालत ने समीक्षा याचिकाओं को अगली सुनवाई के लिए सात अगस्त को सूचीबद्ध कर दिया।

दो मई को न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी (अब सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता वाली पीठ ने जेएसडब्ल्यू स्टील लिमिटेड की तरफ से बीएसपीएल के लिए पेश की गई समाधान योजना को अवैध ठहराते हुए खारिज कर दिया था। शीर्ष अदालत ने बीएसपीएल के सभी पक्षकारों- समाधान पेशेवर, सीओसी और एनसीएलटी की आलोचना करते हुए कहा था कि समाधान प्रक्रिया में दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) का 'घोर उल्लंघन' हुआ है। कोर्ट ने कहा था कि कर्ज समाधान योजना को मंजूरी देने में कर्जदाताओं की समिति ने वाणिज्यिक सूझबूझ का परिचय नहीं दिया था क्योंकि यह योजना आईबीसी के प्रावधानों का पूरी तरह उल्लंघन करती है।

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