रांची : रांची शहर में लगातार बुलडोजर कार्रवाई चल रही है। एचईसी की जमीन पर किए गए अतिक्रमण पर शनिवार को सुबह 11 बुलडोजर चला। एचईसी चेक पोस्ट से डीपीएस तक 6 घंटे तक चले अभियान में करीब 60 मकान ढेर कर दिए गए। इस बीच प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिसकर्मियों को पीड़ित लोगों के विरोध का सामना भी करना पड़ा। बावजूद इसके बुलडोजर आगे बढ़ता रहा। सोमवार को भी अतिक्रमण हटाया जाएगा। बता दें कि अतिक्रमण करने वालों को पहले ही नोटिस दिया गया था। शुक्रवार को माइक से भी निर्माण हटाने के निर्देश दिए गए। हालांकि कई लोग सुबह से ही घर खाली करने लगे थे। इस बीच प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ लोगों में रोष दिखा।
मजिस्ट्रेट की अगुवाई में की गई कार्रवाई
मजिस्ट्रेट नितिन गुप्ता के नेतृत्व में औपचारिक रूप से अभियान शुरू किया गया। उनके साथ जगन्नाथपुर थाना प्रभारी दिग्विजय सिंह, एचईसी, नगर निगम के अधिकारी और बड़ी संख्या में पुलिस के जवान तैनात थे। अभियान शाम 5 बजे तक चला। इस दौरान करीब 60 अवैध मकान और पक्के-कच्चे निर्माण ध्वस्त कर दिए गए। कुछ घरों से प्रशासन ने सामान भी जब्त कर लिया।
विरोध में सड़क पर उतरे लोग
बुलडोजर घरों की ओर बढ़े तो इलाके में हंगामें के साथ विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया। प्रभावित लोग सड़क पर उतर आए। एक महिला ने रोते हुए कहा कि हमसे निगम ने होल्डिंग टैक्स वसूला, वोटर कार्ड यहीं बना, बिजली का कनेक्शन मिला और चुनाव में हमसे वोट भी लिया गया। यदि यह अवैध था तो पहले ही क्यों नहीं रोका गया। वहीं, एक अन्य बुजुर्ग व्यक्ति ने आक्रोश जताते हुए कहा हम गरीब लोग हैं। अब घर उजड़ गया तो बच्चों को लेकर कहां जाएंगे। किराया देने का भी सामर्थ्य नहीं है।
आगे भी चलेगा अतिक्रमण पर बुलडोजर
एचईसी नगर प्रशासन ने कहा कि यह जमीन एचईसी की संपत्ति है जिस पर वर्षों से अवैध कब्जा हो रहा था। प्रशासन की ओर से सभी को पूर्व में नोटिस दिया गया था। सार्वजनिक सूचना जारी कर सात दिनों का समय दिया गया ताकि लोग खुद से निर्माण हटा लें। इसके बावजूद जब लोग नहीं हटे, तो मजबूरन कार्रवाई करनी पड़ी। वहीं मजिस्ट्रेट नितिन गुप्ता ने कहा की सोमवार को अभियान जारी रहेगा। बाकी बचे अवैध निर्माण को ध्वस्त किया जाएगा।
अब हम कहां जाएंगे
स्थानीय लोगों का कहना है कि सालों से वे लोग वहां रह रहे हैं। जब उन्हें बिजली कनेक्शन, राशन कार्ड, आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र दिया गया, तब किसी ने अतिक्रमण का मुद्दा नहीं उठाया। निगम ने वर्षों तक उनसे होल्डिंग टैक्स वसूला, नेताओं ने उनसे वोट लिया। अब अचानक उन्हें अवैध बताकर घर उजाड़ दिए गए। प्रभावित लोग अब अपने भविष्य को लेकर असमंजस में हैं। कई परिवार अस्थायी ठिकाने ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सभी के चेहरे पर एक ही सवाल है अब हम कहां जाएंगे।

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