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झारखण्ड के चाईबासा में बच्चों पर HIV का कहर, केंद्र की चेतावनी को राज्य सरकार ने किया नजरअंदाज...


रांची:  झारखंड का चाईबासा जिला अचानक ही सुर्खियों में आ गया है. देशभर में इसकी चर्चा राज्य के स्वास्थ्य विभाग पर लगे उस कलंक को लेकर है जिसे चुपके-चुपके धोने की कोशिश की जा रही है. झारखंड के चाईबासा में थैलीसीमिया से जूझ रहे मासूम बच्चों को अस्पताल के ब्लड बैंक से चढ़ाए गए संक्रमित रक्त के कारण HIV का शिकार बनने को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. न्यूज 18 की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट ने इस चिकित्सा लापरवाही के पीछे की साजिश को उजागर किया है, जहां केंद्र सरकार की 2021 की चेतावनी को राज्य ने ठेंगा दिखा दिया. कम से कम 6 बच्चों की जिंदगी दांव पर लग चुकी है और सवाल उठ रहा है-क्या स्वास्थ्य व्यवस्था मासूमों की बलि चढ़ाने पर तुली हुई है?

थैलीसीमिया बच्चों पर केंद्र की 4 साल पुरानी चेतावनी

दरअसल, चाईबासा सदर अस्पताल के जिस ब्लड बैंक से थैलीसीमिया पीड़ित मासूम बच्चों को HIV पॉजिटिव संक्रमित ब्लड चढ़ाया गया उसी चाईबासा ब्लड बैंक पर तत्काल एक्शन लेने को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य के ड्रग्स कंट्रोल निदेशालय को 13 जनवरी 2021 को ही स्पीड पोस्ट से पत्र भेजा था. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की चिट्ठी से साफ था कि मामला सीरियस है. पत्र में ब्लड बैंक के लाइसेंस, स्थान और दूसरी अनियमितताओं को लेकर गंभीर चिंता जाहिर करते हुए कार्रवाई की अनुशंसा की गयी थी.

2021 की चिट्ठी पर 4 साल की चुप्पी


केंद्र सरकार की भेजी 19 पेज की इस चिट्ठी में चाईबासा ब्ल्ड बैंक में जांच स्तर पर होने वाली हर खामियों को उजागर किया गया था.लेकिन, केंद्र के इस पत्र पर राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने ऐसी उदासीनता दिखायी जिसका नतीजा आज सबके सामने हैं. केंद्रीय स्वास्थ मंत्रालय की यह रिपोर्ट केंद्र और राज्य के संयुक्त निरीक्षण आधार पर भेजी गयी थी. केंद्र के इस पत्र पर तत्काल गंभीरता दिखाने के बजाय राज्य के ड्रग कंट्रोल निदेशालय की ओर से करीब चार साढ़े साल बाद 28 मई 2025 को चाईबासा सदर अस्पताल ब्लड सेंटर को एक चिट्ठी भेजी गयी.



खास बात यह स्पष्ट हो रहा है कि इसमें कोई कार्रवाई करने के बजाय महज लाइसेंस और ब्लड सेंटर के स्थान परिवर्तन को लेकर महज एक स्मार पत्र का जिक्र था. साफ है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की चिट्ठी को अनदेखा कर चाईबासा के थैलीसीमिया पीड़ित मासूम बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ किया गया. जानकारी के मुताबिक, थैलीसीमिया पीड़ित बच्चों की जांच का दायरा अगर बढ़ाया जाता है तो HIV पॉजिटिव बच्चों की संख्या में इजाफा हो सकता है. ऐसे में अब समय है कि सरकारें पारदर्शी जांच, सख्त कार्रवाई और मुआवजे के साथ-साथ ब्लड बैंकों में सख्त मानकों को लागू करें, ताकि ऐसी त्रासदी दोबारा न दोहराए.


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