Hazaribagh: 31 दिसंबर 2022 को सत कोलंबस कॉलेज केबी सहाय पार्क में जिला हजारीबाग राजनीतिक पहचान दिलाने वाले लोह पुरुष स्वर्गीय श्री केबी सहाय जी की 125वीं जयंती भव्य रूप से मनाया गया जयंती में विभिन्न पार्टियों एवं हजारों के संख्या में साथ समस्त सहाय परिवार स्वर्गीय श्री केबी सहाय जी का पूजा एवं माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। और जयंती शह: माल्यार्पण समारोह में प्रदेश से आए। झारखंड सरकार के मंत्री आलमगीर आलम कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री राजेश ठाकुर ,माननीय विद्यायक श्री उमाशंकर अकेला यादव , विधायक अंबा प्रसाद बीस सूत्री उपाध्यक्ष जवाहरलाल सिन्हा कायस्थ महासभा के जिला अध्यक्ष दीपक नाथ सहाय बटेश्वर मेहता प्रदेश उपाध्यक्ष भीम कुमार एवं हजारीबाग के जिला अध्यक्ष शैलेंद्र यादव नगर अध्यक्ष मनोज नारायण भगत वरिष्ठ कांग्रेस नेता गण शशि मोहन सिंह विनोद सिंह आरजेडी के जिला अध्यक्ष संजय मलिक प्रकाश पासवान केबी सहाय की प्रतिमा में फूल माला चढ़ाकर उन्हें नमन किया। हजारीबाग के विभिन्न क्षेत्रों से आए छोटे-बड़े समाजसेवियों एवं सर्वदलीय वरिष्ठ नेताओं। ने केबी सहाय जी के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया।
आपको बता दूं कि स्वतंत्रता सेनानी संयुक्त बिहार के चौथे पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय श्री कृष्ण बल्लभ सहाय जी के पौत्र एवं केबी सहाय जनकल्याण फाउंडेशन के डायरेक्टर श्री आशीष सहाय जी के द्वारा जयंती का शुभारंभ किया गया इस अवसर पर श्री आशीष सहाय जी ने शुगर से पीड़ित लोगों को अपने हाथों से करीब 600 शुगर मशीन का वितरण किए। इसके अलावा और भी शुगर मशीन वितरण किया जाएगा।
जयंती के विशेष अवसर पर आइए जानते हैं। केबी सहाय जी का देश के लिए महत्वपूर्ण योगदान भारत की आज़ादी के लिए अपने प्राण और जीवन की आहुती देनेवाले वीर योद्धा को याद कर रहे हैं। आज़ादी के ऐसे भी दीवाने थे, जिन्हें देश-दुनिया बहुत नहीं जानती। वह गुमनाम रहे और आज़ादी के जुनून के लिए सारा जीवन खपा दिया। झारखंड की माटी ऐसे आज़ादी के सिपाहियों की गवाह रही है।
स्वतन्त्रता सेनानी के रूप में के.बी. सहाय का व्यक्तित्व संघर्षशील था। यह एक जुझारु काँग्रेस कार्यकर्ता भर नहीं थे, बल्कि उनमें राजनीतिक आंदोलनों का नेतृत्व करने की अद्भुत क्षमता थी। उन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी राह बनाने में सफलता पायी। हजारीबाग में होनेवाले हर आंदोलन में वो केंद्रीय भूमिका में रहते थे। उन्होंने चुनावी दंगल में भी बड़े-बड़े राजनेताओं को धूल चटायी। वे लोकहित में निर्णय लेने में काफी आगे थे। उनकी इन्हीं विशेषताओं ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर नयी पहचान दिलाई। यहाँ तक कि उन्होंने 1963 में संयुक्त बिहार का मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त किया। वे भारतीय संविधान सभा के सदस्य भी थे। बहुत दुखी के साथ कहना पड़ रहा है कि 3 जून 1974 को सिंदूर हजारीबाग- पटना मार्ग पर के पास सड़क दुर्घटना में उनकी मौत हो गयी।
झारखंड की उन्नति में रहा अहम योगदान: संयुक्त बिहार के मुख्यमंत्री रहे कृष्ण बल्लभ सहाय उन नेताओं में शुमार थे, जिन्होंने बिहार के साथ ही मौजूदा झारखंड की उन्नति में अहम योगदान दिया। उनका जन्म पटना के शेखपुरा में 31 दिसंबर 1898 में कायस्थ परिवार में हुआ था। उनका बचपन हजारीबाग में बीता। शिक्षा-दीक्षा भी हजारीबाग में हुई। संत कोलम्बस कॉलेज से अँग्रेजी में स्नातक किया। इसी सरजमीं से उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष शुरू किया। गांधीजी के नेतृत्व में हुए सभी आंदोलनों- असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन में उनकी अहम भागेदारी रही।
किसानों की लड़ाई का किया नेतृत्व: के.बी. सहाय शुरुआती दौर 1919 में अमृत बाज़ार पत्रिका अखबार के लिए हजारीबाग से रेपोर्टिंग कराते थे। असहयोग आंदोलन के समय उन्होंने न केवल अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन में भाग लिया, बल्कि किसान आंदोलन को भी आगे बढ़ाया। जमींदारों और अँग्रेजी हुकूमत के खिलाफ किसानों की लड़ाई का नेतृत्व किया। उन्होंने झारखंड के हज़ारीबाग, चतरा, कोडरमा, गोमिया, बोकारो, गिरिडीह समेत पूरे उत्तरी छोटनागपुर में असहयोग आंदोलन को गति दी। गाँव-गाँव जाकर उन्होंने आम लोगों के साथ-साथ किसानों को भी जागरूक कर संगठित किया।
जेपी को हजारीबाग जेल से भगाने में भूमिका निभाई: के.बी. सहाय ने 1928 में साइमन कमीशन के विरोध का हजारीबाग में नेतृत्व किया। तब आंदोलन में वह गिरफ्तार हुए और जेल भेजे गए। उनका जेल आने-जाने का सिलसिला जारी रहा। 1930-1934 के बीच लगभग चार बार गिरफ्तार किए गए। नौ और दस नवंबर 1942 को दीपावली की रात उन्होंने हजारीबाग केंद्रीय कारा में बंद जयप्रकाश नारायण और उनके सहयोगियों को जेल से भगाने में अहम भूमिका निभाई। इस घटना का उल्लेख प्रसिद्ध लेखक रामवृक्ष बेनीपुरी ने अपनी पुस्तक में किया है। इस प्रकार जेपी जेल से बाहर हुए और भारत छोड़ो आंदोलन को गति प्रदान किया।
1923 में बिहार विधान परिषद के सदस्य बने: स्वतन्त्रता आंदोलन के समय 1923 में के.बी. सहाय होम रूल के तहत बिहार विधान परिषद के सदस्य चुने गए। 1937 में काँग्रेस ने गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 के तहत सरकार में भागीदारी का फैसला लिया। इस सरकार में उन्हें संसदीय सचिव बनाया गया। अंग्रेजों द्वारा बढ़ायी गयी मालगुज़ारी को उन्होंने वापस लिया और समान मालगुज़ारी की दर में भी कटौती की। उन्होंने समाज के दलित वर्ग के पक्ष में भूमि संबंधी कई निर्णय लिए। दलितों के हक के लिए संघर्ष करते रहे और उनकी आवाज़ बन गए। ज़मींदारी उन्मूलन के संघर्ष में के.बी. सहाय अभिमन्यु की तरह अकेले थे।
शाहाबाद में किसान सभा की: के.बी. सहाय ने 11 मई 1942 को शाहाबाद कुदरा में विशाल किसान आमसभा आयोजित की थी। इसमें डॉ राजेंद्र प्रसाद शामिल हुए। यह किसान आमसभा अभूतपूर्व थी। इसकी सफलता से प्रेरित होकर श्रीकृष्ण सिन्हा ने के.बी. सहाय को अपने ज़िला मुंगेर आमंत्रित किया। मुंगेर के तारापुर में बनौली राज के किसानों पर हो रहे ज़ुल्म को लेकर रैली निकाली गयी थी। इसका नेतृत्व के.बी. सहाय ने किया। स्वतन्त्रता सेनानी जे.बी. कृपलानी ने रैली में हिस्सा लिया था। रैली से आस-पास के किसानों में जागरूकता आई और वह अपने ऊपर होने वाले ज़ुल्म के खिलाफ एकजुट हुए। स्वर्गीय श्री केबी सहाय जी ने अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में उद्योग के क्षेत्र हो शिक्षा के क्षेत्र हो या रोजगार की क्षेत्र हो चाहे वह सामाजिक प्रगति हो हर क्षेत्र में एक अपना पहचान बनाए हैं। उदाहरण के तौर पर बोकारो स्टील सिटी एचईसी रांची बिहार में रिफाइनरी बरौनी तिलैया में सैनिक स्कूल हजारीबाग में कांग्रेस कार्यालय मेरु कैंप की स्थापना छड़वा डैम विमेंस कॉलेज गिरिडीह को जिला बनाने में गिरिडीह कॉलेज की स्थापना पतरातू ग्लास फैक्ट्री संयुक्त झारखंड बिहार में केबी सहाय हाई स्कूल स्थापना कर अपना कीर्तिमान स्थापित किए। ऐसे महान विभूति शख्सियत को जयंती के अवसर पर उन्हें शत-शत नमन
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