हजारीबाग : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड आंदोलन के प्रणेता दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई है। झारखंड की राजनीति के इस युगपुरुष के जाने से न केवल एक नेता, बल्कि एक संकल्प, एक विचार और एक आंदोलन की आवाज़ थम गई है। पूर्व सदर विधानसभा कांग्रेस प्रत्याशी मुन्ना सिंह ने सोमवार को शोक व्यक्त करते हुए कहा कि दिशोम गुरु का जाना झारखंड की आत्मा का मौन हो जाना है। उन्होंने न केवल झारखंड राज्य की परिकल्पना की, बल्कि उसे अपने संघर्ष, त्याग और अनगिनत बलिदानों से मूर्त रूप दिया।
उन्होंने आगे कहा कि शिबू सोरेन केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना और आदिवासी अस्मिता के प्रतीक थे। उनका पूरा जीवन वंचितों, किसानों, श्रमिकों और आदिवासी समाज के अधिकारों के लिए संघर्ष करते हुए बीता। वे आंदोलनों की उपज नहीं थे, वे स्वयं एक आंदोलन थे। सिंह ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि शिबू सोरेन जी सत्ता में रहकर भी हमेशा जनता के बीच रहे। उन्होंने अपने आदर्शों से कभी समझौता नहीं किया। झारखंड उनके नाम से ही पहचाना जाता है। उनका संघर्ष और योगदान आने वाली पीढ़ियों को मार्गदर्शन देता रहेगा। उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की कि दिवंगत आत्मा को चिरशांति प्रदान करें और परिवारजनों, शुभचिंतकों तथा अनुयायियों को इस अपार दुःख को सहने की शक्ति दें।
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